…मै मिस करता हूँ वह एक मीटर विजिबिलिटी वाले सर्दियों का स्कूटर
राइड , …गांधी मैदान की और ,एक्सहिबिशन रोड के तरफ से…रात के लगभग ११ या १२ बजे नाईट शो फिल्म देख कर हॉस्टल लौटना .... फिल्म खत्म होने पर वो हड़बड़ा के हॉल के सीढ़ियों से उतरकर , स्टैंड से स्कूटर निकालना …और एक किक मे स्टार्ट करके … गेट के बाहर घना कोहरा मे रोड और डीवाइडर को टटोलना …और चुपके से कोई ऑटोरिकसाह की बैक लाइट का सहारा लेना .... मैदान का आधा चक्कर काट कर.....और बिल्कुल अंदाज़ पे और भगवान भरोसे हॉस्टल पहुंचना ....आर्मी स्टाइल जैकेट और बिल्कुल हिम शीतल हेलमेट मे मेस मे पहुंच कर और किचन और मेस की गज़ब की गर्माहट से सुरक्षित महसूस करना , और प्यार से रखा हुआ खाना , मेस कर्मियों द्वारा , कभी भी भूल नहीं सकता ....उस खाने की स्वाद और तृप्ति का अहसास था लाजवाब ……बेफिक्री की चोटी मे था.... हमारा तन और मन …!!!!!
राइड , …गांधी मैदान की और ,एक्सहिबिशन रोड के तरफ से…रात के लगभग ११ या १२ बजे नाईट शो फिल्म देख कर हॉस्टल लौटना .... फिल्म खत्म होने पर वो हड़बड़ा के हॉल के सीढ़ियों से उतरकर , स्टैंड से स्कूटर निकालना …और एक किक मे स्टार्ट करके … गेट के बाहर घना कोहरा मे रोड और डीवाइडर को टटोलना …और चुपके से कोई ऑटोरिकसाह की बैक लाइट का सहारा लेना .... मैदान का आधा चक्कर काट कर.....और बिल्कुल अंदाज़ पे और भगवान भरोसे हॉस्टल पहुंचना ....आर्मी स्टाइल जैकेट और बिल्कुल हिम शीतल हेलमेट मे मेस मे पहुंच कर और किचन और मेस की गज़ब की गर्माहट से सुरक्षित महसूस करना , और प्यार से रखा हुआ खाना , मेस कर्मियों द्वारा , कभी भी भूल नहीं सकता ....उस खाने की स्वाद और तृप्ति का अहसास था लाजवाब ……बेफिक्री की चोटी मे था.... हमारा तन और मन …!!!!!
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